श्री महावीर मंडल डोरंडा का आरोप – ‘संथाल परगना से हजारों गायों को गंगा नदी में बहाकर बांग्लादेश तक भेजा जाता है!’
Ranchi News : झारखंड में वर्ष 2015 से ही गो-हत्या पर प्रतिबंध है, फिर भी यहां गो-तस्करी चरम पर है। यहां हर सप्ताह 25 करोड़ रुपए का अवैध गो-तस्करी का कारोबार होता है। संथाल परगना से हजारों गायों को गंगा नदी में बहाकर बांग्लादेश तक भेजा जाता है। झारखंड गोसेवा आयोग को तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करनी चाहिए।
झारखंड गो-सेवा आयोग तुष्टीकरण की राजनीति करने में लगा है। यहां गो-रक्षा के नाम पर अराजकता फैलाई जा रही है।
श्री महावीर मंडल डोरंडा केंद्रीय समिति के अध्यक्ष संजय पोद्दार एवं मंत्री पप्पू वर्मा ने इन बातों के साथ झारखंड गो-सेवा आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड गो-सेवा आयोग तुष्टीकरण की राजनीति करने में लगा है। यहां गो-रक्षा के नाम पर अराजकता फैलाई जा रही है।
Ranchi News in Hindi
गो-रक्षा के नाम पर अराजकता फैलाने का अधिकार किसी को नहीं
Ranchi News : श्री महावीर मंडल डोरंडा की ओर से जारी बयान में उन्होंने कहा कि गो-रक्षा के नाम पर किसी को भी अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है। झारखंड में गो-सेवा आयोग की मौजूदगी स्वागत योग्य है, परंतु इसमें तुष्टीकरण की बू आती है।
उन्होंने कहा कि झारखंड में गो-हत्या पर वर्ष 2015 से प्रतिबंध है, फिर भी प्रदेश में हर दिन 500 से अधिक गायों को काटा जा रहा है। यहां से गायों को ट्रकों में भरकर चीन तक भेजा जाता है। आयोग को इसपर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
आयोग बताए कि कैसे रुकेगी गो-हत्या
Ranchi News : संजय पोद्दार और पप्पू वर्मा ने गो-सेवा आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आयोग को बताना चाहिए कि राज्य में गो-हत्या पर कैसे रोक लगाई जाएगी और ऐसा करने वाले दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि संथाल परगना से हजारों की संख्या में गायों को गंगा नदी में बहाकर बांग्लादेश तक भेजा जाता है।
संथाल परगना गो-तस्करी का केंद्र बिंदु है। गो-हत्या पर प्रतिबंध होने के बावजूद हर सप्ताह 25 करोड़ का अवैध कारोबार होता है। प्रस्थासन की मिलीभगत के कारण यह धंधा फल-फूल रहा है। हर महीने करोड़ों रुपए की अवैध उगाही भी होती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि संथाल परगना गो-तस्करी का केंद्र बिंदु है। गो-हत्या पर प्रतिबंध होने के बावजूद हर सप्ताह 25 करोड़ का अवैध कारोबार होता है। प्रशासन की मिलीभगत के कारण यह धंधा फल-फूल रहा है। हर महीने करोड़ों रुपए की अवैध उगाही भी होती है और इसका पैसा पूरे सिस्टम में बांटा जाता है।
उन्होंने आयोग से पूछा कि गो-हत्या की घटना रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। गो-सेवा आयोग द्वारा गऊ माता की रक्षा करना स्वागत योग्य होगा, परंतु इसकी आड़ में तुष्टीकरण की राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
Panchayat Sachivalaya Swayamsevak News : झारखंड मंत्रालय का घेराव 4 अक्टूबर को, 15 हजार स्वयंसेवक लेंगे हिस्सा
कम खर्च में अपनी खूबसूरत वेबसाइट बनवाएं। यहां क्लिक करें।